" हां बेटा प्रकृति को हमने खिलौना ही समझा अब वो प्रकृति बदला ले रही हमारे खिलौने जैसे ब " हां बेटा प्रकृति को हमने खिलौना ही समझा अब वो प्रकृति बदला ले रही हमारे खिलौने...
इस पृथ्वी पर प्रकृति ही मानव की ईश्वर है इस पृथ्वी पर प्रकृति ही मानव की ईश्वर है
लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास और बाहर निकल गया, नहीं होता और जो हर गन्दी जगह पर ... लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास और बाहर निकल गया, नहीं होता और...
बेटा यह इंसानी दुनिया हम जीवों को जीने नहीं देगी बेटा यह इंसानी दुनिया हम जीवों को जीने नहीं देगी
यह पक्षी जिस भी घर में या उसके आंगन में पाई जाती है, वहाँ सुख-शांति बनी रहती है यह पक्षी जिस भी घर में या उसके आंगन में पाई जाती है, वहाँ सुख-शांति बनी रहती है
जरा सी असावधानी बर्बादी बन जाती है नेटवर्क्स से। जरा सी असावधानी बर्बादी बन जाती है नेटवर्क्स से।